Brahmaputra

Brahmaputra

by Devendra Satyarthi

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  • ISBN13: 9789349116399
  • Binding: paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Literature
भारत की नदियों का वर्णन करते हुए व्यासजी ने उन्हें 'विश्वस्य मातरः' कहा है। सचमुच नदियाँ लोकमाता ही होती हैं। लेकिन सब नदियों को हम माता नहीं कहते। विश्वामित्र ने तमसा नदी को अपनी बहन कहा है। हमारे गाँव की छोटी मार्कंडी मेरी छोटी बहन है। हम बचपन में साथ बहुत खेले हैं। यमुना नदी काल भगवान् यमराज की बहन है और गुजरात की ताप्ती या तपती नदी तो यमराज के पिता सूर्यनारायण की पुत्री कही जाती है।

ब्रह्मपुत्र का दर्शन मैंने सदिया और परशुराम कुंड (ब्रह्मपुत्र) से लेकर गोवालंदी तक और आगे जाकर पद्मा और मेघना के नाम से किया है। ब्रह्मपुत्र न बहन है, न माता। वह तो सृजन और संहार की लीला में मस्त एक देवता है। पृथ्वी के भूचाल भी ब्रह्मपुत्र की उसी लीला में मदद करते हैं। युद्ध-धर्म का उत्कर्ष बताने वाले क्षत्रियों का संहार करते-करते ब्राह्मणवीर परशुराम को कहीं भी शांति नहीं मिलती थी। उसे वह ब्रह्मपुत्र के किनारे मिली और यहाँ पर उसने अपने हत्यारे परशु का त्याग किया था।

हमारे पूर्वजों ने अपने ढंग से नदियों के स्तोत्र और नदियों के पुराण बनाए। अब हमारे जमाने के साहित्यकारों को चाहिए कि वे आधुनिक ढंग से नदियों के स्तोत्र और नदियों के पुराण हमें दे दें। श्री देवेंद्र सत्यार्थी ने अपने उपन्यास 'ब्रह्मपुत्र' द्वारा नदी-पुत्रों के लोकजीवन का पुराण प्रस्तुत किया है। हमारे संस्कृत पुराणों में ऋषि-मुनि, राजा-महाराजा और देवी-देवताओं की भरमार होती है। अब लोकयुग शुरू हुआ है। अब तो हमारे पुराण लोकजीवन को ही प्राधान्य देंगे। इसका प्रारंभहम 'ब्रह्मपुत्र' में पाते हैं। - काका कालेलकर
देवेंद्र सत्यार्थी

हिंदी, पंजाबी, उर्दू और अंग्रेजी में अधिकारपूर्ण शैली में लिखने के लिए प्रसिद्ध पद्मश्री देवेंद्र सत्यार्थी का जन्म 28 मई, 1908 को पंजाब के एक गाँव भदौड़ (जिला संगरूर) में हुआ। सन् 1926 में डी.ए.वी. कॉलेज, लाहौर में इंटर के दूसरे साल में पढ़ते हुए लोकयान यात्रा की धुन समाई। पढ़ाई बीच में छोड़कर कश्मीर से कन्याकुमारी और कलकत्ता से पेशावर तक की यात्रा के लिए पक्के इरादे से निकल पड़े।

आजादी के बाद आठ साल (सन् 1948 से 1956 तक) प्रकाशन विभाग की प्रसिद्ध पत्रिका 'आजकल' (हिंदी) के प्रधान संपादक रहे। पहली पुस्तक पंजाबी में छपी 'जिद्धा' (1936)। उर्दू में पहली पुस्तक 'मैं हूँ खानाबदोश' (1941) थी। हिंदी में पहली पुस्तक है- 'धरती गाती है' (1948)। अंग्रेजी में एकमात्र पुस्तक 'मीट माई पीपल' सन् 1946 में प्रकाशित हुई। प्रकाश मनु द्वारा लिखी गई जीवनी 'देवेंद्र सत्यार्थी एक सफरनामा' के अलावा 'देवेंद्र सत्यार्थी तीन पीढ़ियों का सफर' (सं. प्रकाश मनु) और 'यायावर देवेंद्र सत्यार्थी' (सं. ओम्प्रकाश सिंहल) पुस्तकों में सत्यार्थीजी के जीवन, शख्सियत और रचनाओं का पुनर्मूल्यांकन किया गया है। सत्यार्थीजी के प्रमुख उपन्यास हैं- 'रथ के पहिए', 'कठपुतली', 'दूधगाछ', 'कथा कहो उर्वशी', 'तेरी कसम सतलुज', 'विदा दीपदान'। पंजाबी में लिखा प्रयोगशील उपन्यास 'घोड़ा बादशाह' भी हिंदी में अनूदित होकर भाषा विभाग, पटियाला से प्रकाशित हुआ है।

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