Bharatvarsh Ki Sarvang Swatantrata

Bharatvarsh Ki Sarvang Swatantrata

by Narender Sehgal

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  • ISBN13: 9789352667079
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Political Science
परम वैभव के लिए
सर्वांग स्वतंत्रता
अखंड भारत भारतीयों के लिए भूमि का टुकड़ा न होकर एक चैतन्यमयी देवी भारतमाता है। जब तक भारत का भूगोल, संविधान, शिक्षाप्रणाली, आर्थिक नीति, संस्कृति, समाज-रचना, परसा एवं विदेशी विचारधारा से प्रभावित और पश्चिम के अंधानुकरण पर आधारित रहेंगे, तब तक भारत की पूर्ण स्वतंत्रता पर प्रश्नचिह्न लगता रहेगा। स्वाधीन भारत में महात्मा गांधीजी के वैचारिक आधार स्वदेश, स्वदेशी, स्वधर्म, स्वभाषा, स्वसंस्कृति, रामराज्य, ग्राम स्वराज इत्यादि को तिलांजलि दे दी गई। स्वाधीन भारत में मानसिक पराधीनता का बोलबाला है। देश को बाँटने वाली विधर्मी/विदेशी मानसिकता के फलस्वरूप देश में अलगाववाद, अतंकवाद, भ्रष्टाचार, सामाजिक विषमता आदि पाँव पसार चुकी हैं। संघ जैसी संस्थाएँ सतर्क हैं। परिवर्तन की लहर चल पड़ी है। देश की सर्वांग स्वतंत्रता अवश्यंभावी है।
गांधीजी की इच्छा के विरुद्ध भारत-विभाजन के साथ खंडित राजनीतिक स्वाधीनता स्वीकार करके कांगे्रस का सारा नेतृत्व सासीन हो गया। दूसरी ओर संघ अपने जन्मकाल से आज तक ‘अखंड भारत’ की ‘सर्वांग स्वतंत्रता’ के ध्येय पर अटल रहकर निरंतर गतिशील है।
नरेंद्र सहगल
जन्म : 5 जून, 1944
शिक्षा : पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए. (राजनीति शास्त्र/इतिहास)।
चौदह वर्षों तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के नाते दिल्ली, हरियाणा एवं पंजाब में कार्य किया। दो वर्षों तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में हरियाणा के संगठन मंत्री का पदभार सँभाला। मासिक ‘तरुप दीप’ कुरुक्षेत्र, मासिक ‘रवानी’ तथा ‘पथिक’ चंडीगढ़ एवं मासिक ‘तवी दीपिका’ जम्मू का संपादन किया। तत्पश्चात् सात वर्षों तक समाचार-पत्र ‘दैनिक भास्कर’ में जम्मू-कश्मीर के स्टेट यूरो चीफ के रूप में कार्य किया। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखों का प्रकाशन। साप्ताहिक ‘पाञ्चजन्य’ में अनेक वर्षों तक साप्ताहिक कॉलम ‘स्वदेश चिंतन’ लिखा।
मुय प्रकाशन : पंजाब : समस्या और उपाय, धर्मांतरित कश्मीर, व्यथित जम्मू-कश्मीर, घाटी के स्वर, राम अर्थात् राष्ट्र, सुरक्षा स्वदेश की, भारत का राष्ट्रीय उद्घोष जय श्रीराम, आस्था पर आघात, आस्था की विजय, Converted Kashmir, Victory of Faith, Jammu-Kashmir—A State in Turbulence.

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