Bharatiya Hathiyaron Ka Itihas
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- ISBN13: 9789386870940
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
भारतीय हथियारों का एक जटिल दीर्घ इतिहास है, जो वैदिककालीन समय से आधुनिककाल तक अत्यंत व्यापक है। हथियार मात्र एक उपकरण या युद्ध में प्रयोग होने वाले साधन के रूप में ही नहीं रहा है, बल्कि इसने इतिहास को आगे बढ़ाने में अपनी सक्रिय सहभागिता भी निभाई है। हथियारों का प्रयोग सर्वप्रथम आत्मरक्षा, समूह की सुरक्षा, शिकार, संघर्ष, शौर्य, शक्ति, सामर्थ्य व वर्चस्व के रूप में किया गया, किंतु अब भी शांति एवं सुरक्षा के नाम पर ये हथियार सामर्थ्य, वर्चस्व, शक्ति व स्पर्धा का आधार बने हुए हैं।
किसी भी देश का समाज व संस्कृति उस राजव्यवस्था की सभ्यता, संस्कृति, संकल्प एवं क्रियाकलाप के वास्तविक सूचक होते हैं। संभवतया साम्राज्यों की सुरक्षा, समृद्धि, सामर्थ्य, शक्ति व वर्चस्व बनाए रखने की सोच ने ही सामरिक साधनों को समृद्धि, सक्षम, सशक्त, संहारक, विध्वंसक एवं विनाशक हथियारों की होड़ की दौड़ शुरू की, जो अनवरत रूप से अभी भी जारी है। अतः हथियारों का अध्ययन सुरक्षा एवं रक्षा हेतु भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इससे हमें हथियारों की क्षमता, कार्यशैली, प्रभाव व उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
हथियारों का अध्ययन नीति-निर्माण के लिए भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। अतः हथियारों का अध्ययन देश की सैन्य रणनीति, आत्मरक्षा, नीति-निर्माण, वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरराष्ट्रीय संबंध के साथ ही राष्ट्र की रक्षा व सुरक्षा हेतु भी सहायक सिद्ध होगा।
किसी भी देश का समाज व संस्कृति उस राजव्यवस्था की सभ्यता, संस्कृति, संकल्प एवं क्रियाकलाप के वास्तविक सूचक होते हैं। संभवतया साम्राज्यों की सुरक्षा, समृद्धि, सामर्थ्य, शक्ति व वर्चस्व बनाए रखने की सोच ने ही सामरिक साधनों को समृद्धि, सक्षम, सशक्त, संहारक, विध्वंसक एवं विनाशक हथियारों की होड़ की दौड़ शुरू की, जो अनवरत रूप से अभी भी जारी है। अतः हथियारों का अध्ययन सुरक्षा एवं रक्षा हेतु भी महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इससे हमें हथियारों की क्षमता, कार्यशैली, प्रभाव व उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
हथियारों का अध्ययन नीति-निर्माण के लिए भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। अतः हथियारों का अध्ययन देश की सैन्य रणनीति, आत्मरक्षा, नीति-निर्माण, वैज्ञानिक अनुसंधान, अंतरराष्ट्रीय संबंध के साथ ही राष्ट्र की रक्षा व सुरक्षा हेतु भी सहायक सिद्ध होगा।
डॉ. सुरेंद्र कुमार मिश्र
शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (रक्षा अध्ययन), सी. आई.सी., पी.जी. डी.जे. एम.सी., पी.जी.डी.डी.एम., हरियाणा उच्चतर शिक्षा सेवा (कॉलेज कैडर प्राचार्य) से सेवानिवृत्त। जी.डी.सी. मैमोरियल स्नातकोत्तर महाविद्यालय बहल (भिवानी) हरियाणा से प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त ।
प्रकाशन : रक्षा अध्ययन एवं समसामयिक विषयों से संबंधित 50 पुस्तकें, लगभग 300 शोध लेख तथा 5000 से अधिक समसामयिक लेख राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। प्रसार भारती, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से अनेक सामयिक, सामरिक तथा सामाजिक विषयों से संबंधित वार्त्ताएँ व परिचर्चा प्रसारित।
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के रक्षा अध्ययन विषय के विजिटिंग फैलो हैं। रक्षा विषयों की द्विमासिक पत्रिका 'डिफेंस मॉनीटर' के संपादकीय सलाहकार हैं। 'सुरक्षा सारथी' शोध जनरल के विशेषज्ञ पैनल के अलावा अनेक रिसर्च जनरल से जुड़े हुए हैं। अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों व पुरस्कारों से अलंकृत।
शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (रक्षा अध्ययन), सी. आई.सी., पी.जी. डी.जे. एम.सी., पी.जी.डी.डी.एम., हरियाणा उच्चतर शिक्षा सेवा (कॉलेज कैडर प्राचार्य) से सेवानिवृत्त। जी.डी.सी. मैमोरियल स्नातकोत्तर महाविद्यालय बहल (भिवानी) हरियाणा से प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त ।
प्रकाशन : रक्षा अध्ययन एवं समसामयिक विषयों से संबंधित 50 पुस्तकें, लगभग 300 शोध लेख तथा 5000 से अधिक समसामयिक लेख राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। प्रसार भारती, आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से अनेक सामयिक, सामरिक तथा सामाजिक विषयों से संबंधित वार्त्ताएँ व परिचर्चा प्रसारित।
जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के रक्षा अध्ययन विषय के विजिटिंग फैलो हैं। रक्षा विषयों की द्विमासिक पत्रिका 'डिफेंस मॉनीटर' के संपादकीय सलाहकार हैं। 'सुरक्षा सारथी' शोध जनरल के विशेषज्ञ पैनल के अलावा अनेक रिसर्च जनरल से जुड़े हुए हैं। अनेक प्रतिष्ठित सम्मानों व पुरस्कारों से अलंकृत।