Bharat Vibhajan Ka Dansh
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- ISBN13: 9789393113023
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
14 अगस्त, 1947 को विभाजन का दंश एक कभी न भरनेवाला घाव दे गया। भारतभूमि का ही एक टुकड़ा लेकर 'पाकिस्तान' नामक इसलामिक राष्ट्र घोषित करनेवाले कट्ïटरपंथी नेताओं ने उस भूखंड पर बहुत समय पहले से ही रहते चले आए भारतीयों को, विशेषकर हिंदुओं और सिखों को जबरदस्ती भारत भेजने का फरमान सुना दिया। उनके सामान लूट लिये गए, जमीनें वहीं छूट गईं, स्त्रियों-बच्चियों के साथ पापाचार हुए; पुरुषों, स्त्रियों की हत्या करके उनके शव ट्रेनों में भरकर भारत की ओर रवाना कर दिए गए।
भारत के विभाजन ने मानवता की ही हत्या नहीं की थी, विचारों की भी हत्या की थी। यदि 15 अगस्त को मिली आजादी एक ऐतिहासिक घटना है तो 14 अगस्त को विभाजन की त्रासदी एक ऐतिहासिक दुर्घटना है।
'भारत-विभाजन का दंश' रोंगटे खड़े कर देनेवाली, भीतर तक उद्वेलित और आंदोलित कर देनेवाली मार्मिक औपन्यासिक कृति है, जिसके लेखन का एक उद्देश्य यह भी है कि आगे आनेवाली पीढिय़ाँ समझें कि किस तरह से आदमी से आदमी के रिश्ते को उन्माद और आतंक रौंदता आ रहा है। जब नई पीढिय़ाँ उस आतंक और उन्माद को समझेंगी, तभी उनके उन्मूलन का स्थायी मार्ग भी मिलेगा; विभाजन का सच भी पता चलेगा और विभाजन की व्यर्थता भी। तभी पता चलेगा आक्रांताओं के साथ संबंध का ऐतिहासिक झूठ भी और तभी बढ़ उठेंगे पग घर वापसी की ओर भी।
भारत के विभाजन ने मानवता की ही हत्या नहीं की थी, विचारों की भी हत्या की थी। यदि 15 अगस्त को मिली आजादी एक ऐतिहासिक घटना है तो 14 अगस्त को विभाजन की त्रासदी एक ऐतिहासिक दुर्घटना है।
'भारत-विभाजन का दंश' रोंगटे खड़े कर देनेवाली, भीतर तक उद्वेलित और आंदोलित कर देनेवाली मार्मिक औपन्यासिक कृति है, जिसके लेखन का एक उद्देश्य यह भी है कि आगे आनेवाली पीढिय़ाँ समझें कि किस तरह से आदमी से आदमी के रिश्ते को उन्माद और आतंक रौंदता आ रहा है। जब नई पीढिय़ाँ उस आतंक और उन्माद को समझेंगी, तभी उनके उन्मूलन का स्थायी मार्ग भी मिलेगा; विभाजन का सच भी पता चलेगा और विभाजन की व्यर्थता भी। तभी पता चलेगा आक्रांताओं के साथ संबंध का ऐतिहासिक झूठ भी और तभी बढ़ उठेंगे पग घर वापसी की ओर भी।
नीरजा माधव की अब तक उपन्यास, कहानी, कविता, ललित निबंध व वैचारिक विषयक 45 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें 'देनपा : तिब्बत की डायरी', 'गेशे जंपा', 'यमदीप', 'भारत विभाजन का दंश' (तेभ्य: स्वधा), 'अनुपमेय शंकर', '# कोरोना', 'रात्रिकालीन संसद्' जैसे बहुचर्चित उपन्यास हैं तो 'चिटके आकाश का सूरज', 'अभी ठहरो अंधी सदी', 'चुप चंतारा रोना नहीं', 'पथदंश', 'आदिमगंध तथा अन्य कहानियाँ' जैसे विविध अनछुए विषयों पर लिखी कहानियों के संग्रह प्रमुख हैं। 'हिंदी साहित्य का ओझल नारी इतिहास', 'भारतीय स्त्री विमर्श', 'रेडियो का कलापक्ष', 'भारत राष्ट्र और उसकी शिक्षा पद्धति', 'अर्थात राष्ट्रवाद', 'भारत का सांस्कृतिक स्वभाव' जैसे वैचारिक ग्रंथ भी हैं।
भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंदजी द्वारा सर्वोच्च महिला नागरिक सम्मान 'नारी शक्ति पुरस्कार-2021, श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, कोलकाता द्वारा प्रतिष्ठित 'डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान2021, उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा 'साहित्य भूषण सम्मान', हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा 'साहित्य महोपाध्याय' की मानद उपाधि तथा अनेक सम्मानों से अलंकृत। विभिन्न विश्वविद्यालयों में उपन्यास और कहानियाँ पाठ्ïयक्रमों में सम्मिलित।
भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंदजी द्वारा सर्वोच्च महिला नागरिक सम्मान 'नारी शक्ति पुरस्कार-2021, श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय, कोलकाता द्वारा प्रतिष्ठित 'डॉ. हेडगेवार प्रज्ञा सम्मान2021, उ.प्र. हिंदी संस्थान, लखनऊ द्वारा 'साहित्य भूषण सम्मान', हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा 'साहित्य महोपाध्याय' की मानद उपाधि तथा अनेक सम्मानों से अलंकृत। विभिन्न विश्वविद्यालयों में उपन्यास और कहानियाँ पाठ्ïयक्रमों में सम्मिलित।