Bharat Ki Pratham Mahilayen

Bharat Ki Pratham Mahilayen

by Asharani Vohra

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  • ISBN13: 9789380823294
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): History
भारत की प्रथम महिलाएँ—आशा रानी व्होरा

दूसरों की बनाई राह पर तो सभी चलते हैं। परंपराओं की गिट्टियाँ तोड़, रूढ़ियों के काँटे बीनते हुए नई पगडंडी तैयार करना सचमुच बड़े साहस और जोखिम का काम होता है। भारतीय नारी की मुक्‍ति और उसे वर्तमान स्तर पर लाने के लिए न जाने कितनी स्‍‍त्रियों ने यह जोखिम उठाया है। एक-एक पगडंडी तैयार करने के लिए वर्षों-वर्षों के अंतराल से एक-एक कदम उठा, ठिठका, लड़खड़ाया, फिर सँभलकर दृढ़ता से गति पकड़ता गया।
यह जानने की जिज्ञासा स्वाभाविक है कि कौन थीं वे अग्रणी महिलाएँ? कौन सी थीं वे राहें? किसने, किस तरह, किस नई राह को चुना या उसका निर्माण किया? यह पुस्तक इस जिज्ञासा का समाधान ही नहीं, उन महती विभूतियों के प्रति एक विनम्र श्रद्धांजलि भी है, जिन्होंने रूढ़ि तोड़, अपने अद‍्भुत साहस का परिचय दे किसी भी क्षेत्र में ‘पहल’ की है।
जब कभी किसी महिला ने किसी क्षेत्र में पहल की—वह प्रथम विमान-चालिका बनी, प्रथम आई.पी.एस., प्रथम जज या प्रथम विधायक, तब समाचार-पत्रों ने एक समाचार प्रकाशित किया, कभी चित्र भी—और फिर लोग भूल गए।
प्रस्तुत प्रेरणाप्रद पुस्तक में भारत की उन निडर, अडिग और अग्रणी महिलाओं की संघर्ष-यात्रा को अत्यंत रोचक शैली में प्रस्तुत किया गया है। निश्चय ही हर आयु वर्ग के पाठकों, विशेषकर महिलाओं के लिए अत्यंत उपयोगी एवं पठनीय पुस्तक।
श्रीमती आशारानी व्होरा (जन्म : 7 अप्रैल, 1921) हिंदी की सुपरिचित लेखिका। समाजशास्‍‍त्र में एम.ए. एवं हिंदी प्रभाकर श्रीमती व्होरा ने 1946 से 1964 तक महिला प्रशिक्षण तथा समाज-सेवा के क्षेत्रों में सक्रिय रहने के बाद स्वतंत्र लेखन को ही पूर्णकालिक व्यवसाय बना लिया। हिंदी की लगभग सभी लब्धप्रतिष्‍ठ पत्र-पत्रिकाओं में अर्धशती तक उनकी रचनाएँ छपती रहीं। चार हजार से ज्यादा रचनाएँ और नब्बे पुस्तकें प्रकाशित।
अनेक संस्थागत पुरस्कारों के अलावा ‘रचना पुरस्कार’ कलकत्ता; ‘अंबिकाप्रसाद दिव्य पुरस्कार’ भोपाल; ‘कृति पुरस्कार’ हिंदी अकादमी, दिल्ली; ‘साहित्य भूषण सम्मान’ उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ; ‘गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार’ केंद्रीय हिंदी संस्थान (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) से सम्मानित और हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग की सर्वोच्च उपाधि ‘साहित्य वाचस्पति’ से विभूषित श्रीमती व्होरा केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा एवं हिंदी अकादमी, दिल्ली की सदस्य भी रहीं।
स्मृतिशेष : 21 दिसंबर, 2008

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