Bharat Ke Chakravarti Samrat
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- ISBN13: 9789355626042
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
यह पुस्तक विशेष रूप से भारत के चक्रवती सम्राटों पर है। विषय की व्यापकता को ध्यान में रखकर अत्यंत प्राचीनकाल से आरंभ कर पांडववंशी जनमेजय तक के चक्रवर्तियों को ही विषय-वस्तु में सम्मिलित किया गया है।
भारत की नई पीढ़ी इस इतिहास से प्रायः अनभिज्ञ है। इतना ही नहीं, वह अपने भारतीय ज्ञान-संपदा के ग्रंथों से भी अनभिज्ञ है। उसको इस इतिहास, भारत की सार्वभौमिकता, दर्शन, संस्कृत वाङ्मय, आर्ष साहित्य आदि से परिचय कराना हमारा दायित्व है। भारत निर्माता संतों, ऋषियों, मुनियों, आविष्कारकों व विदुषी वेदज्ञ मातृशक्ति से परिचय हमारे गौरवबोध को जाग्रत् करेगा।
संपूर्ण पृथ्वी पर भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का संदेश 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्' लेकर, 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का विचार लेकर, 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का मंत्र लेकर, 'मातृवत् परदारेषु परद्रव्येषु लोष्ठवत्, आत्मवत् सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः' का आचरण लेकर तथा 'राष्ट्र सर्वोपरि' की दृष्टि लेकर जो लोग चले, जिनमें बड़े-बड़े राजपरिवार तथा व्यापारी व समाज-सुधारक शामिल हैं; उनसे आज की पीढ़ी परिचित हो, इस हेतु से प्रस्तुत पुस्तक का सृजन हुआ है।
भारत की नई पीढ़ी इस इतिहास से प्रायः अनभिज्ञ है। इतना ही नहीं, वह अपने भारतीय ज्ञान-संपदा के ग्रंथों से भी अनभिज्ञ है। उसको इस इतिहास, भारत की सार्वभौमिकता, दर्शन, संस्कृत वाङ्मय, आर्ष साहित्य आदि से परिचय कराना हमारा दायित्व है। भारत निर्माता संतों, ऋषियों, मुनियों, आविष्कारकों व विदुषी वेदज्ञ मातृशक्ति से परिचय हमारे गौरवबोध को जाग्रत् करेगा।
संपूर्ण पृथ्वी पर भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का संदेश 'कृण्वन्तो विश्वमार्यम्' लेकर, 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का विचार लेकर, 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का मंत्र लेकर, 'मातृवत् परदारेषु परद्रव्येषु लोष्ठवत्, आत्मवत् सर्वभूतेषु यः पश्यति सः पण्डितः' का आचरण लेकर तथा 'राष्ट्र सर्वोपरि' की दृष्टि लेकर जो लोग चले, जिनमें बड़े-बड़े राजपरिवार तथा व्यापारी व समाज-सुधारक शामिल हैं; उनसे आज की पीढ़ी परिचित हो, इस हेतु से प्रस्तुत पुस्तक का सृजन हुआ है।
देवराज सिंह जादौन
जन्म : नगलिया (पला सल्लू) जिला अलीगढ़ (उ.प्र.)।
अभिरुचि: समाज-सेवा, देशाटन, अध्ययन व लेखन ।
सामाजिक जीवन : 1993 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में कार्य किया। वर्तमान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के 'प्रज्ञा प्रवाह' के क्षेत्र संयोजक का दायित्व निभा रहे हैं।
अध्यापन : 3 वर्ष का अनुभव।
प्रकाशित कृतियाँ : 'कश्मीर' (विभाजन से पहले व बाद), 'अनमोल हमारी थाती है' व 'युगद्रष्टा पथस्रष्टा'। 'क्षत्रिय वार्त्ता' पत्रिका में लेखों सहित देश की अन्य पत्र-पत्रिकाओं में लेख व संपादन कार्य। अनेक राज्य स्तरीय मंचों पर व विश्वविद्यालयों में भारतीय प्राचीन इतिहास, भारत की विश्व को देन तथा भारतीय ज्ञान-परंपरा पर व्याख्यान दे रहे हैं।
जन्म : नगलिया (पला सल्लू) जिला अलीगढ़ (उ.प्र.)।
अभिरुचि: समाज-सेवा, देशाटन, अध्ययन व लेखन ।
सामाजिक जीवन : 1993 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में कार्य किया। वर्तमान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के 'प्रज्ञा प्रवाह' के क्षेत्र संयोजक का दायित्व निभा रहे हैं।
अध्यापन : 3 वर्ष का अनुभव।
प्रकाशित कृतियाँ : 'कश्मीर' (विभाजन से पहले व बाद), 'अनमोल हमारी थाती है' व 'युगद्रष्टा पथस्रष्टा'। 'क्षत्रिय वार्त्ता' पत्रिका में लेखों सहित देश की अन्य पत्र-पत्रिकाओं में लेख व संपादन कार्य। अनेक राज्य स्तरीय मंचों पर व विश्वविद्यालयों में भारतीय प्राचीन इतिहास, भारत की विश्व को देन तथा भारतीय ज्ञान-परंपरा पर व्याख्यान दे रहे हैं।