Bhagwan Ke Desh Ka DNA
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- ISBN13: 9789355620958
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Political Science
यदि हम मनुष्य को एक नैसर्गिक मशीन मान लें तो मनुष्य का फाइनल प्रोडक्ट क्या है ? उत्तर है 'विचार'। मनुष्य में विचार बनते हैं और विचार अव्यक्त तत्त्व है। अपनी विकसित तकनीकों में डूबी वर्तमान दुनिया मानसिक तनाव से जूझ रही है और मुक्ति के लिए सनातन धर्म, देवता, वैदिक जीवनशैली सहित संपूर्ण संस्कृति को समझना चाहती है। दुनिया जानती है कि अव्यक्त विचार तत्त्व को समझे बिना मानसिक शांति व संतुष्टि नहीं मिल सकती ।
इधर AI जैसी तकनीकों के भ्रमजाल में फँसी भारत की नई पीढ़ी अपनी परंपराओं से दूर भाग रही है। IIM और IIT जैसे शिक्षा केंद्रों से निकले बुद्धिजीवी अमरीका, ऑस्ट्रेलिया जैसे अतिविकसित देशों को पलायन कर रहे हैं। इसकी जड़ में है भारतीय विचार की मूल अभिव्यक्ति की जटिलता और अंधविश्वासों में लिपटी धार्मिक परंपराएँ। भारत का वर्तमान अनगिनत शास्त्रों में वर्णित सनातन विचार को यथावत् मानने को तैयार नहीं है।
'भगवान् के देश का डीएनए' 17 वर्ष के लंबे शोध में सभी संभावित प्रश्नों के वैज्ञानिक उत्तर खोजने का प्रयास है। सनातन धर्म, देवता, अध्यात्म, कर्मकांड, आयुर्वेद, आर्थिक चिंतन का सारांश अर्थात् gist है। अव्यक्त भारत की अभिव्यक्ति है। सरल शब्दों में अंधविश्वासों से दूर वैज्ञानिक भारत के दर्शन कराती है।
इधर AI जैसी तकनीकों के भ्रमजाल में फँसी भारत की नई पीढ़ी अपनी परंपराओं से दूर भाग रही है। IIM और IIT जैसे शिक्षा केंद्रों से निकले बुद्धिजीवी अमरीका, ऑस्ट्रेलिया जैसे अतिविकसित देशों को पलायन कर रहे हैं। इसकी जड़ में है भारतीय विचार की मूल अभिव्यक्ति की जटिलता और अंधविश्वासों में लिपटी धार्मिक परंपराएँ। भारत का वर्तमान अनगिनत शास्त्रों में वर्णित सनातन विचार को यथावत् मानने को तैयार नहीं है।
'भगवान् के देश का डीएनए' 17 वर्ष के लंबे शोध में सभी संभावित प्रश्नों के वैज्ञानिक उत्तर खोजने का प्रयास है। सनातन धर्म, देवता, अध्यात्म, कर्मकांड, आयुर्वेद, आर्थिक चिंतन का सारांश अर्थात् gist है। अव्यक्त भारत की अभिव्यक्ति है। सरल शब्दों में अंधविश्वासों से दूर वैज्ञानिक भारत के दर्शन कराती है।
डॉ. जयकरन
1948 में हरियाणा के छोटे से गाँव मदीना (आहुलाना) में जन्म। कार्यस्थली गोहाना, सोनीपत। आजीविका चिकित्सा। चिकित्सक और समाजसेवक के रूप में गरीब और वंचित वर्गों में लोकप्रिय। सन् 1980 तक गोहाना तहसील में स्तरीय शिक्षा केंद्र नहीं था। गीता विद्या मंदिर की स्थापना से क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार किया। राष्ट्रीय, सामाजिक, धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रहे; शिक्षाविद् के रूप में मान-सम्मान- प्रतिष्ठा मिली।
राष्ट्रधर्म आजीविका से सदैव ऊपर रहा। बालपन में संघ में सक्रिय हुए और निरंतर संघ निर्माता डॉ. हेडगेवार के राष्ट्रीय चिंतन से प्रेरित रहे। सन् 1947 के विभाजन की विभीषिका से जीवित बचकर स्वदेश आए समाज की दर्दनाक व्यथा ने लेखक के राष्ट्रीय विचारों को प्रज्वलित करने में घी का काम किया।
अध्यात्म, योग और श्रीमद्भगवद्गीता के गहन अध्ययन के माध्यम से धर्म के वास्तविक स्वरूप की खोज में राष्ट्रीय राजनीति, धर्म और समाज के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाकर लेखक ने अपने जीवन को राष्ट्रीय विचारों की प्रयोगशाला में बदल लिया।
मो. : +91 9560522929
drjaikaran@gmail.com
1948 में हरियाणा के छोटे से गाँव मदीना (आहुलाना) में जन्म। कार्यस्थली गोहाना, सोनीपत। आजीविका चिकित्सा। चिकित्सक और समाजसेवक के रूप में गरीब और वंचित वर्गों में लोकप्रिय। सन् 1980 तक गोहाना तहसील में स्तरीय शिक्षा केंद्र नहीं था। गीता विद्या मंदिर की स्थापना से क्षेत्र में शिक्षा का प्रसार किया। राष्ट्रीय, सामाजिक, धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय रहे; शिक्षाविद् के रूप में मान-सम्मान- प्रतिष्ठा मिली।
राष्ट्रधर्म आजीविका से सदैव ऊपर रहा। बालपन में संघ में सक्रिय हुए और निरंतर संघ निर्माता डॉ. हेडगेवार के राष्ट्रीय चिंतन से प्रेरित रहे। सन् 1947 के विभाजन की विभीषिका से जीवित बचकर स्वदेश आए समाज की दर्दनाक व्यथा ने लेखक के राष्ट्रीय विचारों को प्रज्वलित करने में घी का काम किया।
अध्यात्म, योग और श्रीमद्भगवद्गीता के गहन अध्ययन के माध्यम से धर्म के वास्तविक स्वरूप की खोज में राष्ट्रीय राजनीति, धर्म और समाज के प्रति समग्र दृष्टिकोण अपनाकर लेखक ने अपने जीवन को राष्ट्रीय विचारों की प्रयोगशाला में बदल लिया।
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