Beej Se Vriksha Tak | Inspirational Biography of IAS G.S. Naveen Kumar
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- ISBN13: 9789355627148
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
डॉ. जसवंत राय की प्रस्तुत पुस्तक 'बीज से वृक्ष तक' हर समस्या का समाधान सोचने वाले • IAS नवीन कुमार के जीवन पर आधारित एक प्रेरणादायक कहानी है। नवीन कुमार की साहित्य, समाज और संस्कृति के प्रति रुचि और आठों पहर ऊर्जा से भरे उनके स्वभाव की सहजता, सौहार्द, सरलता, संघर्ष, समर्पण और जिज्ञासा ने लेखक को उनके बचपन को खंगालने के लिए विवश कर दिया।
इसमें निकला कि उनके बालमन पर उनकी माँ जी. विजया द्वारा तराशी गई सांस्कृतिक धरोहर, पिता गोपाला कृष्ण की ओर से उसे बड़ा सोचने और बड़ा आदमी बनने के लिए दिया गया मार्गदर्शन, घर-परिवार का वातावरण, अध्यापकों का प्रोत्साहन, रेलवे स्टेशन पर समाचार-पत्र बेचकर शिक्षा प्राप्त करने वाले और अंततः भारत के राष्ट्रपति के पद तक पहुँचने वाले डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व के प्रभाव ने नवीन कुमार के लिए कलेक्टर बनने का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्हें अपने चारों ओर डॉ. कलाम का आभामंडल अनुभव होने लगा। उनके हठी स्वभाव, निरंतर परिश्रम और अटूट लगन ने उन्हें उनकी IAS की मंजिल के पास पहुँचा दिया। एक साधारण परिवार से उठकर कलेक्टर और फिर उससे भी आगे की यात्रा कैसे की जा सकती है, यह इस पुस्तक में बखूबी देखने को मिलेगा। यह पुस्तक नवयुवकों के लिए मात्र उच्च स्तरीय परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने में ही लाभदायक नहीं होगी अपितु एक मानव में मानवता के गुणों को रोपित करने में भी सहायक होगी।
इसमें निकला कि उनके बालमन पर उनकी माँ जी. विजया द्वारा तराशी गई सांस्कृतिक धरोहर, पिता गोपाला कृष्ण की ओर से उसे बड़ा सोचने और बड़ा आदमी बनने के लिए दिया गया मार्गदर्शन, घर-परिवार का वातावरण, अध्यापकों का प्रोत्साहन, रेलवे स्टेशन पर समाचार-पत्र बेचकर शिक्षा प्राप्त करने वाले और अंततः भारत के राष्ट्रपति के पद तक पहुँचने वाले डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के व्यक्तित्व के प्रभाव ने नवीन कुमार के लिए कलेक्टर बनने का मार्ग प्रशस्त किया।
उन्हें अपने चारों ओर डॉ. कलाम का आभामंडल अनुभव होने लगा। उनके हठी स्वभाव, निरंतर परिश्रम और अटूट लगन ने उन्हें उनकी IAS की मंजिल के पास पहुँचा दिया। एक साधारण परिवार से उठकर कलेक्टर और फिर उससे भी आगे की यात्रा कैसे की जा सकती है, यह इस पुस्तक में बखूबी देखने को मिलेगा। यह पुस्तक नवयुवकों के लिए मात्र उच्च स्तरीय परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने में ही लाभदायक नहीं होगी अपितु एक मानव में मानवता के गुणों को रोपित करने में भी सहायक होगी।
डॉ. जसवंत राय (18 मई, 1975) एक दार्शनिक, कहानीकार, समीक्षक, संपादक और अनुवादक होने के साथ-साथ बहुजनों के अधिकारों के लिए संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं। जीवन में प्रस्तुत हुईं अनेक आर्थिक व सामाजिक चुनौतियों का सामना करते हुए उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय से डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की। पंजाब के स्कूल शिक्षा विभाग में दो दशकों से अधिक समय तक पढ़ाने के बाद वह इन दिनों भाषा विभाग पंजाब में जिला भाषा अधिकारी के पद पर सेवाएँ प्रदान करते हुए शब्द-साधना में लगे हैं।
उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग पंजाब द्वारा उनकी सेवाओं के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त पंजाब के गवर्नर के साथ-साथ अनेक साहित्यिक व सामाजिक संगठनों ने भी उन्हें सम्मानित किया है। उनके द्वारा रचित पंद्रह पुस्तकों में से अधिकतर का केंद्रीय विषय उपेक्षित व हाशिए पर धकेल दिए गए लोगों की पीड़ा को बयान करना रहा है।
इतिहास के अन्वेषक और भाषा व संस्कृति से अथाह प्रेम रखने वाले डॉ. जसवंत राय ने वंचितों-शोषितों के उन्नयन हेतु समर्पित विभूतियों पर ऐतिहासिक व उल्लेखनीय कार्य किया है। विभिन्न समाचार- पत्र-पत्रिकाओं में समकालीन ज्वलंत मुद्दों व लोकनायकों के जीवन पर निरंतर लिखते रहते हैं।
उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग पंजाब द्वारा उनकी सेवाओं के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया गया है। इसके अतिरिक्त पंजाब के गवर्नर के साथ-साथ अनेक साहित्यिक व सामाजिक संगठनों ने भी उन्हें सम्मानित किया है। उनके द्वारा रचित पंद्रह पुस्तकों में से अधिकतर का केंद्रीय विषय उपेक्षित व हाशिए पर धकेल दिए गए लोगों की पीड़ा को बयान करना रहा है।
इतिहास के अन्वेषक और भाषा व संस्कृति से अथाह प्रेम रखने वाले डॉ. जसवंत राय ने वंचितों-शोषितों के उन्नयन हेतु समर्पित विभूतियों पर ऐतिहासिक व उल्लेखनीय कार्य किया है। विभिन्न समाचार- पत्र-पत्रिकाओं में समकालीन ज्वलंत मुद्दों व लोकनायकों के जीवन पर निरंतर लिखते रहते हैं।