Arthik Vikas Aur Sansadiya Loktantrik Pranali Book In Hindi
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- ISBN13: 9789355629395
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Political Science
संसद् की अस्थिरता आज एक समस्या है और इसके कुपरिणाम भी हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता। किंतु इसके कारणों पर विचार किए बिना समस्या का निदान खोजना सतही और मनोवादी (subjectivism) विचार होगा।
संसद् की अस्थिरता को एक शोध विषय के रूप में विश्लेषण करने संबंधी शोध साहित्य का अभाव सा है, कोई प्रामाणिक साहित्य शायद ही उपलब्ध हो। हाँ, संसदीय बहसों में ऐसे सवाल जरूर उठते रहे हैं और उनके निदान के रूप में ऊपर वर्णित तर्क दिए जाते रहे हैं। दल- बदल विरोधी एक कानून भी है तथा संसद् को सुचारु रूप से चलाने, उसके फैसलों को लागू करने संबंधी संसदीय तंत्र से लेकर नौकरशाही के एक ढाँचे संबंधी साहित्य जरूर उपलब्ध है। किंतु इस साहित्य की स्थापना का कारण यह है कि क्षेत्रीय दलों की बहुलता ही इस अस्थिरता का मूल कारण है और संसद् की अस्थिरता के कारण विकास अवरुद्ध होता है।
इस पुस्तक का मूल ध्येय यह पता लगाना है कि क्षेत्रीय दलों के कारण संसद् में अस्थिरता आती है, जिसके कारण विकास कार्यों में बाधा आती है या असंतुलित वर्गीय और क्षेत्रीय विकास को संसद् द्वारा नहीं रोक पाने के कारण क्षेत्रीय दलों का निर्माण होता है और संसद् की अस्थिरता बढ़ती जाती है ?
संसद् की अस्थिरता को एक शोध विषय के रूप में विश्लेषण करने संबंधी शोध साहित्य का अभाव सा है, कोई प्रामाणिक साहित्य शायद ही उपलब्ध हो। हाँ, संसदीय बहसों में ऐसे सवाल जरूर उठते रहे हैं और उनके निदान के रूप में ऊपर वर्णित तर्क दिए जाते रहे हैं। दल- बदल विरोधी एक कानून भी है तथा संसद् को सुचारु रूप से चलाने, उसके फैसलों को लागू करने संबंधी संसदीय तंत्र से लेकर नौकरशाही के एक ढाँचे संबंधी साहित्य जरूर उपलब्ध है। किंतु इस साहित्य की स्थापना का कारण यह है कि क्षेत्रीय दलों की बहुलता ही इस अस्थिरता का मूल कारण है और संसद् की अस्थिरता के कारण विकास अवरुद्ध होता है।
इस पुस्तक का मूल ध्येय यह पता लगाना है कि क्षेत्रीय दलों के कारण संसद् में अस्थिरता आती है, जिसके कारण विकास कार्यों में बाधा आती है या असंतुलित वर्गीय और क्षेत्रीय विकास को संसद् द्वारा नहीं रोक पाने के कारण क्षेत्रीय दलों का निर्माण होता है और संसद् की अस्थिरता बढ़ती जाती है ?
नरेन्द्र पाठक
जन्म : फरवरी, 1965 बक्सर, बिहार के कुसुरूपा गाँव में।
शिक्षा : कर्पूरी ठाकुर और पिछड़ी जातियों का राजनीतिक ध्रुवीकरण पर शोध, बी.एच.यू., 1988-1992)।
राजनीतिक गतिविधियाँ : 1981 में महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय, बक्सर में छात्र संघ का चुनाव लड़ा, सन् 1994 से 2007 तक समाजवादी पार्टी के प्रांतीय महासचिव रहे; किशन पटनायक के साथ डंकल विरोधी अभियान में सक्रियता, 24 जनवरी, 2008 को जनता दल (यू) की सदस्यता ली।
प्रकाशन : 'कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद' (23 जनवरी, 2009), 'कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद' कन्नड़ अनुवाद (द्वितीय संस्करण, 23 जनवरी, 2024), मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के विधायी अभिभाषणों का संपादन 'विकसित बिहार की खोज' (अगस्त 2010), जननायक कर्पूरी ठाकुर के विधायी वादवृत्त का विषयवार संपादन, मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के संसदीय वादवृत्त का संपादन 'संसद् में विकास की बातें' (अक्तूबर 2018)।
संप्रति : निदेशक, जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना (शिक्षा विभाग, बिहार सरकार) ।
जन्म : फरवरी, 1965 बक्सर, बिहार के कुसुरूपा गाँव में।
शिक्षा : कर्पूरी ठाकुर और पिछड़ी जातियों का राजनीतिक ध्रुवीकरण पर शोध, बी.एच.यू., 1988-1992)।
राजनीतिक गतिविधियाँ : 1981 में महर्षि विश्वामित्र महाविद्यालय, बक्सर में छात्र संघ का चुनाव लड़ा, सन् 1994 से 2007 तक समाजवादी पार्टी के प्रांतीय महासचिव रहे; किशन पटनायक के साथ डंकल विरोधी अभियान में सक्रियता, 24 जनवरी, 2008 को जनता दल (यू) की सदस्यता ली।
प्रकाशन : 'कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद' (23 जनवरी, 2009), 'कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद' कन्नड़ अनुवाद (द्वितीय संस्करण, 23 जनवरी, 2024), मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के विधायी अभिभाषणों का संपादन 'विकसित बिहार की खोज' (अगस्त 2010), जननायक कर्पूरी ठाकुर के विधायी वादवृत्त का विषयवार संपादन, मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार के संसदीय वादवृत्त का संपादन 'संसद् में विकास की बातें' (अक्तूबर 2018)।
संप्रति : निदेशक, जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान, पटना (शिक्षा विभाग, बिहार सरकार) ।