Art of Interview: A Complete Guide How To Take An Interview
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- ISBN13: 9789390825691
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Literature
समाचार संकलन के क्षेत्र में इंटरव्यू का बड़ा महत्त्व है। हिंदी पत्रकारिता ने अंग्रेजी के 'इंटरव्यू' शब्द को अपना लिया है, हालाँकि इसके समानार्थक पारिभाषिक शब्द 'साक्षात्कार' और 'भेंटवार्त्ता' भी इस्तेमाल हो रहे हैं। इनमें 'भेंटवार्त्ता' शब्द अधिक आकर्षक और अर्थवान प्रतीत होता है। इंटरव्यू वास्तव में एक साथ कला, शिल्प और विज्ञान (Art, Craft and Science) तीनों है। बताया जाता है कि पहला इंटरव्यू 1836 में 'न्यूयॉर्क हेराल्ड' में छपा था। प्रश्नोत्तर के रूप-विधान में इंटरव्यू विधा की शुरुआत 1859 में मानी जाती है। विचित्र बात यह है कि लंबे समय तक इंटरव्यू विधा को पत्रकारिता में उचित स्थान नहीं मिल पाया था, लेकिन धीरे-धीरे हालात बदलते गए।
अब यह पत्रकारिता का एक अनिवार्य व नियमित अंग बन गया है। इंटरव्यू लेने से पहले काफी मेहनत करनी होती है। सवाल करते समय पूरे संदर्भों को ध्यान में रखना चाहिए और अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। इस पुस्तक में इंटरव्यू कला से संबंधित मूलभूत जानकारियाँ बारीकी के साथ दी गई हैं। पुस्तक के द्वितीय खंड में समाज के विभिन्न वर्गों, राजनेताओं, खिलाड़ियों, कलाकारों, साहित्यकारों तथा आमजन से लिये गए इंटरव्यू दिए गए हैं, जिससे इस पुस्तक की उपयोगिता और रोचकता बढ़ गई है। आशा है, यह पुस्तक पत्रकारिता के उन छात्रों और नए पत्रकारों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, जो इंटरव्यू कला में प्रवीणता प्राप्त करना चाहते हैं।
अब यह पत्रकारिता का एक अनिवार्य व नियमित अंग बन गया है। इंटरव्यू लेने से पहले काफी मेहनत करनी होती है। सवाल करते समय पूरे संदर्भों को ध्यान में रखना चाहिए और अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। इस पुस्तक में इंटरव्यू कला से संबंधित मूलभूत जानकारियाँ बारीकी के साथ दी गई हैं। पुस्तक के द्वितीय खंड में समाज के विभिन्न वर्गों, राजनेताओं, खिलाड़ियों, कलाकारों, साहित्यकारों तथा आमजन से लिये गए इंटरव्यू दिए गए हैं, जिससे इस पुस्तक की उपयोगिता और रोचकता बढ़ गई है। आशा है, यह पुस्तक पत्रकारिता के उन छात्रों और नए पत्रकारों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, जो इंटरव्यू कला में प्रवीणता प्राप्त करना चाहते हैं।
सुनील बादल
विगत 40 वर्षों से अधिक से लेखन और पत्रकारिता से जुड़े हैं। प्रारंभिक स्कूली शिक्षा के समय से ही कविता, गजल, नाटक-कहानी, लेख और निबंध लिखते रहे हैं। बचपन में रंगमंच पर भी अभिनय के लिए कई बार पुरस्कृत। विभिन्न विधाओं में सैकड़ों रचनाएँ देश भर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। हिंदी व उर्दू की कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन। स्क्रीन राइटर्स एसोशिएशन, बंबई से मान्यता प्राप्त लेखक; छह छोटी पुस्तकों और चार साझा संग्रह सहित कुल दस पुस्तकें प्रकाशित।
कई डॉक्यूमेंट्री और लघु फिल्मों का निर्माण। आकाशवाणी से राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रम प्रसारित। स्थानीय फीचर फिल्मों के लिए भी लेखन। अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़ाव । झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच के पूर्व सचिव । नवभारत टाइम्स में ब्लॉग - सच की परछाईं। झारखंड अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के उपाध्यक्ष और भारतीय जनसंपर्क परिषद् (पी.आर. सी.आई.) की झारखंड शाखा के अध्यक्ष ।
इ-मेल: sunilbadal@gmail.com
मो.: (+91) 9431174904
विगत 40 वर्षों से अधिक से लेखन और पत्रकारिता से जुड़े हैं। प्रारंभिक स्कूली शिक्षा के समय से ही कविता, गजल, नाटक-कहानी, लेख और निबंध लिखते रहे हैं। बचपन में रंगमंच पर भी अभिनय के लिए कई बार पुरस्कृत। विभिन्न विधाओं में सैकड़ों रचनाएँ देश भर की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। हिंदी व उर्दू की कई पत्र-पत्रिकाओं का संपादन। स्क्रीन राइटर्स एसोशिएशन, बंबई से मान्यता प्राप्त लेखक; छह छोटी पुस्तकों और चार साझा संग्रह सहित कुल दस पुस्तकें प्रकाशित।
कई डॉक्यूमेंट्री और लघु फिल्मों का निर्माण। आकाशवाणी से राष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रम प्रसारित। स्थानीय फीचर फिल्मों के लिए भी लेखन। अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से जुड़ाव । झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच के पूर्व सचिव । नवभारत टाइम्स में ब्लॉग - सच की परछाईं। झारखंड अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के उपाध्यक्ष और भारतीय जनसंपर्क परिषद् (पी.आर. सी.आई.) की झारखंड शाखा के अध्यक्ष ।
इ-मेल: sunilbadal@gmail.com
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