Andaman-Andamanush Hindi Translation of Andamanush Nicobarese
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- ISBN13: 9788199290297
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Tourism
बहुत दिलचस्प है यह पुस्तक। इसके कई कारण हैं। पहला, साहित्यिक लेखन के क्षेत्र में संभवतः पहली बार किसी लेखक ने अपने ठेठ यात्रा-वृत्तांत को उपन्यास की शैली और स्वरूप में लिखा है। इसी कारण इसे 'सफर का उपन्यासनामा' नाम दिया है। यह शब्द भी शायद पहली बार ही साहित्य में इस्तेमाल किया गया हो। दूसरा, इस रुचिकर स्वरूप और शैली के साथ यह 'सफर का उपन्यासनामा' अंडमान जैसे उस क्षेत्र की तमाम जानकारियाँ परत-दर-परत खोलकर सामने रखता है, जहाँ के बारे में आमजन की जानकारी सिर्फ 'कालापानी' या 'सेल्युलर जेल' तक सीमित है।
कुछ लोग घूमने-फिरने की गरज से अंडमान-निकोबार जाते हैं, तो वे भी कुछ गिने-चुने क्षेत्रों की सीमाओं में बँधे रहते हैं, जैसे पोर्ट ब्लेयर, हैवलॉक द्वीप, नील द्वीप, रॉस द्वीप, रॉस एवं स्मिथ द्वीप, चिड़िया टापू, राधानगर समुद्र तट, आदि। कुछ थोड़ा साहसिक पर्यटक हुए तो बाराटांग की गुफाओं, लालजी बे, वाइपर द्वीप, दिगलीपुर आदि थोड़े अंदरूनी स्थलों तक भी चले जाते हैं। उन्होंने मूल रूप से इसे अंग्रेजी में एक ही पुस्तक के रूप में लिखा। लेकिन हिंदी में इसका अनूदित संस्करण लाते समय पाठकों की सुविधा के लिए मूल पुस्तक को दो खंडों में बाँट दिया गया है। पहला खंड 'अंडमान-अंडमानुष' है, जबकि दूसरा खंड 'निकोबार-निकोबारी' उस भू-भाग की परतें खोलेगा। पढ़िए और आनंद लीजिए।
कुछ लोग घूमने-फिरने की गरज से अंडमान-निकोबार जाते हैं, तो वे भी कुछ गिने-चुने क्षेत्रों की सीमाओं में बँधे रहते हैं, जैसे पोर्ट ब्लेयर, हैवलॉक द्वीप, नील द्वीप, रॉस द्वीप, रॉस एवं स्मिथ द्वीप, चिड़िया टापू, राधानगर समुद्र तट, आदि। कुछ थोड़ा साहसिक पर्यटक हुए तो बाराटांग की गुफाओं, लालजी बे, वाइपर द्वीप, दिगलीपुर आदि थोड़े अंदरूनी स्थलों तक भी चले जाते हैं। उन्होंने मूल रूप से इसे अंग्रेजी में एक ही पुस्तक के रूप में लिखा। लेकिन हिंदी में इसका अनूदित संस्करण लाते समय पाठकों की सुविधा के लिए मूल पुस्तक को दो खंडों में बाँट दिया गया है। पहला खंड 'अंडमान-अंडमानुष' है, जबकि दूसरा खंड 'निकोबार-निकोबारी' उस भू-भाग की परतें खोलेगा। पढ़िए और आनंद लीजिए।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी और स्थापित लेखक पार्थ सारथी सेन शर्मा वर्षों से एक यात्री के तौर पर अपने अनुभवों व स्मृतियों को सहेज रहे हैं। वे इन्हें अपनी काल्पनिकता से सजाकर संस्मरण व उपन्यासों के रूप में पाठकों के समक्ष प्रस्तुत भी करते रहे हैं। उनके दो उपन्यास 'लव इन लखनऊ' और 'हम हैं राही प्यार के' तथा संस्मरणों की दो पुस्तकें 'एक कदम हजार अफसाने' और 'मुसाफिर हूँ यारो' प्रकाशित हुई हैं। अनेक लेख टाइम्स ऑफ इंडिया, हिंदुस्तान टाइम्स, द इंडियन एक्सप्रेस, द पायनियर, रेल बंधु और डिस्कवर इंडिया में प्रकाशित ।
वे खेल-प्रेमी, जिज्ञासु पाठक एवं उत्साही यात्री भी हैं।
वे खेल-प्रेमी, जिज्ञासु पाठक एवं उत्साही यात्री भी हैं।