Ajneya Ke Samajik-Sanskritik Sarokar
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- ISBN13: 9789352663958
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
सप्रसिद्ध आलोचक प्रो. कृष्णदत्त पालीवाल की नई पुस्तक के आलोचनात्मक निबंधों में अज्ञेय के रचनाकर्म को लेकर हिंदी आलोचना में हुई तमाम साहित्यिक, गैर-साहित्यिक बहसों और साहित्य की, राजनीति की चर्चा करते हुए उस पर तर्कसंगत प्रश्न उठाए गए हैं। अज्ञेय के साहित्यिक-सांस्कृतिक अवदान को उद्घाटित करते हुए स्थापित किया गया है कि अज्ञेय के सृजन-चिंतन से किस तरह हिंदी आलोचना में बहसों की शुरुआत हुई तथा समकालीन साहित्य-संवेदना और साहित्यिक परंपरा के अध्ययन-मूल्यांकन की नई आलोचना-संस्कृति का विकास हुआ।
अज्ञेय के निबंधों, भूमिकाओं, स्मरण-लेखों, यात्रा-साहित्य तथा उनके द्वारा आयोजित व्याख्यानमालाओं और यात्रा शिविरों में लेखकों, विद्वानों, कला-मर्मज्ञों के व्याख्यानों का अंतर्पाठ करते हुए इस पुस्तक में दिखाया गया है कि किस प्रकार उन्होंने भारतीय समाज, हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति को औपनिवेशिक आधुनिकता से मुक्त कराने और भारतीय आधुनिकता को दिशा प्रदान करने का प्रयास किया।
अज्ञेय-साहित्य के अध्येताओं के लिए एक पठनीय पुस्तक।
अज्ञेय के निबंधों, भूमिकाओं, स्मरण-लेखों, यात्रा-साहित्य तथा उनके द्वारा आयोजित व्याख्यानमालाओं और यात्रा शिविरों में लेखकों, विद्वानों, कला-मर्मज्ञों के व्याख्यानों का अंतर्पाठ करते हुए इस पुस्तक में दिखाया गया है कि किस प्रकार उन्होंने भारतीय समाज, हिंदी भाषा, साहित्य और संस्कृति को औपनिवेशिक आधुनिकता से मुक्त कराने और भारतीय आधुनिकता को दिशा प्रदान करने का प्रयास किया।
अज्ञेय-साहित्य के अध्येताओं के लिए एक पठनीय पुस्तक।
कृष्णदत्त पालीवाल
जन्म : 4 मार्च, 1943 को सिकंदरपुर, जिला-फर्रुखाबाद (उ.प्र.) में।
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे। जापान के तोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज में विजिटिंग प्रोफेसर तथा सस्ता साहित्य मंडल के सचिव रहे।
प्रमुख कृतियाँ : रामच्रंद्र शुक्ल का चिंतन जगत्, भवानी प्रसाद मिश्र का रचना-संसार, सर्वेश्वर और उनकी कविता, नव जागरण और महादेवी वर्मा का रचनाकर्म, अंबेडकरः अस्वीकार का साहस, निर्मल वर्माः उत्तर औपनिवेशिक विमर्श, अज्ञेयः कवि कर्म का संकट, हिंदी आलोचना का सैद्धांतिक आधार, हिंदी आलोचना के नए वैचारिक सरोकार, हिंदी आलोचना का उत्तर आधुनिक विमर्श, दलित साहित्य के बुनियादी सरोकार
मैथिलीशरण गुप्त रचनावली तथा अज्ञेय रचनावली का संपादन।
पुरस्कार-सम्मान : राममनोहर लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान; सुब्रह्मण्यम भारती सम्मान; साहित्यकार सम्मान; आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन का विश्व हिंदी सम्मान 2007; राइटर इन रेजीडेंसी फैलोशिप; साहित्य अकादेमी; माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान; प्रमोद वर्मा आलोचना सम्मान।
स्मृतिशेष : 8 फरवरी, 2015
जन्म : 4 मार्च, 1943 को सिकंदरपुर, जिला-फर्रुखाबाद (उ.प्र.) में।
दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष रहे। जापान के तोक्यो यूनिवर्सिटी ऑफ फॉरेन स्टडीज में विजिटिंग प्रोफेसर तथा सस्ता साहित्य मंडल के सचिव रहे।
प्रमुख कृतियाँ : रामच्रंद्र शुक्ल का चिंतन जगत्, भवानी प्रसाद मिश्र का रचना-संसार, सर्वेश्वर और उनकी कविता, नव जागरण और महादेवी वर्मा का रचनाकर्म, अंबेडकरः अस्वीकार का साहस, निर्मल वर्माः उत्तर औपनिवेशिक विमर्श, अज्ञेयः कवि कर्म का संकट, हिंदी आलोचना का सैद्धांतिक आधार, हिंदी आलोचना के नए वैचारिक सरोकार, हिंदी आलोचना का उत्तर आधुनिक विमर्श, दलित साहित्य के बुनियादी सरोकार
मैथिलीशरण गुप्त रचनावली तथा अज्ञेय रचनावली का संपादन।
पुरस्कार-सम्मान : राममनोहर लोहिया अतिविशिष्ट सम्मान; सुब्रह्मण्यम भारती सम्मान; साहित्यकार सम्मान; आठवें विश्व हिंदी सम्मेलन का विश्व हिंदी सम्मान 2007; राइटर इन रेजीडेंसी फैलोशिप; साहित्य अकादेमी; माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान; प्रमोद वर्मा आलोचना सम्मान।
स्मृतिशेष : 8 फरवरी, 2015