Ajey Bharat
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- ISBN13: 9789352663651
- Binding: Hardcover
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): General
हमारे प्राचीन शास्त्रों में वर्णित हमारी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत और उनमें उपलब्ध ज्ञान-विज्ञान के विविध विवरणों की प्रामाणिकता व वैज्ञानिकता की आज के पुरातात्त्विक व वैज्ञानिक अन्वेषणों द्वारा उत्तरोत्तर पुष्टि की जा रही है। इन सभी अन्वेषणों का क्रमबद्ध संकलन, आज की अत्यंत महती आवश्यकता है। विगत 50 वर्षों में कोडूमनाल (तमिलनाडु) सहित 100 से अधिक स्थानों पर हुए पुरातात्त्विक उत्खनन प्रागैतिहासिक काल में रही, भारतीय संस्कृति की अत्यंत उन्नत अवस्था व अति उन्नत प्रौद्योगिकी व ज्ञान-विज्ञान को परिलक्षित करते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक में हमारी प्राचीन समृद्धि, ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में हमारी उन्नत विरासत, स्वाधीनता के उपरांत हुई हमारी प्रमुख त्रुटियों और अब देश की पुनः द्रुत आर्थिक प्रगति व समावेशी विकास के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु उपयुक्त रीति-नीति की रूपरेखा के प्रमुख बिंदुओं का संक्षिप्त विवेचन करने का प्रयास किया गया है। आज हम उच्च आर्थिक राष्ट्रनिष्ठा की अभिव्यक्ति के रूप में आर्थिक राष्ट्रवाद, तकनीकी राष्ट्रवाद, उन्नत प्रौद्योगिकी विकास हेतु उद्योग सहायता संघों के सूत्रपात, कृषि, सहकारिता, सामाजिक समरसता, स्वदेशी व पर्यावरण संरक्षण आदि के क्षेत्र में एकात्म मानव- दर्शन का अनुसरण कर धारणक्षम एवं समावेशी विकास के पथ पर द्रुत गति से अग्रसर हो सकते हैं। इस पुस्तक में इन्हीं सभी विषयों की संक्षिप्त समीक्षा की गई है।
इन विषयों पर समाज में विमर्श और देश अपने प्राचीन परम वैभव को प्राप्त कर पुनः विश्व मंगल का प्रणेता बने, तो इस पुस्तक का लेखन-प्रकाशन सफल होगा।
प्रस्तुत पुस्तक में हमारी प्राचीन समृद्धि, ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में हमारी उन्नत विरासत, स्वाधीनता के उपरांत हुई हमारी प्रमुख त्रुटियों और अब देश की पुनः द्रुत आर्थिक प्रगति व समावेशी विकास के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु उपयुक्त रीति-नीति की रूपरेखा के प्रमुख बिंदुओं का संक्षिप्त विवेचन करने का प्रयास किया गया है। आज हम उच्च आर्थिक राष्ट्रनिष्ठा की अभिव्यक्ति के रूप में आर्थिक राष्ट्रवाद, तकनीकी राष्ट्रवाद, उन्नत प्रौद्योगिकी विकास हेतु उद्योग सहायता संघों के सूत्रपात, कृषि, सहकारिता, सामाजिक समरसता, स्वदेशी व पर्यावरण संरक्षण आदि के क्षेत्र में एकात्म मानव- दर्शन का अनुसरण कर धारणक्षम एवं समावेशी विकास के पथ पर द्रुत गति से अग्रसर हो सकते हैं। इस पुस्तक में इन्हीं सभी विषयों की संक्षिप्त समीक्षा की गई है।
इन विषयों पर समाज में विमर्श और देश अपने प्राचीन परम वैभव को प्राप्त कर पुनः विश्व मंगल का प्रणेता बने, तो इस पुस्तक का लेखन-प्रकाशन सफल होगा।
प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा सन् 1978 से वाणिज्य एवं प्रबंध संकायों में स्नातकोत्तर स्तर पर अध्यापन कर रहे हैं। वाणिज्य एवं प्रबंध के क्षेत्र में स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के छात्रों के लिए 11 पुस्तकें लिखी हैं। इनके मार्गदर्शन में 15 छात्रों ने पीएच.डी. स्तर का शोध एवं 80 से अधिक अन्य शोध परियोजनाओं का निर्देशन किया है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में 230 से अधिक लेख एवं शोधपत्र प्रकाशित हुए हैं।
आर्थिक एवं वैश्विक व्यापार संबंधी विषयों में रुचि होने से प्रो. शर्मा ने स्वदेशी जागरण मंच की ओर से, विश्व व्यापार संगठन (ङ्ख.ञ्ज.हृ.) के पाँचवें, छठे एवं दसवें मंत्रिस्तरीय द्विवार्षिक सम्मेलन में क्रमशः 2003 में केन्कुन (मेक्सिको), 2005 में हांगकांग व 2015 में नैरोबी (केन्या) में भाग लिया।
प्रबंध के क्षेत्र में प्रो. शर्मा अंतर्व्यक्ति व्यवहार की प्रभावशीलता, समय प्रबंधन, संगठन विकास, शून्य-आधारित बजट परिवर्तनों के प्रबंध, नेतृत्व विकास आदि विषयों के प्रशिक्षक भी हैं।
इन्होंने आर्थिक वैश्वीकरण, विश्व व्यापार संगठन, स्वदेशी, विनिवेश आदि विषयों पर 30 लघु पुस्तिकाएँ भी लिखी हैं। वर्तमान में प्रो. शर्मा स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक हैं।
इ-मेल Ñ bpsharma131@yahoo.co.in
आर्थिक एवं वैश्विक व्यापार संबंधी विषयों में रुचि होने से प्रो. शर्मा ने स्वदेशी जागरण मंच की ओर से, विश्व व्यापार संगठन (ङ्ख.ञ्ज.हृ.) के पाँचवें, छठे एवं दसवें मंत्रिस्तरीय द्विवार्षिक सम्मेलन में क्रमशः 2003 में केन्कुन (मेक्सिको), 2005 में हांगकांग व 2015 में नैरोबी (केन्या) में भाग लिया।
प्रबंध के क्षेत्र में प्रो. शर्मा अंतर्व्यक्ति व्यवहार की प्रभावशीलता, समय प्रबंधन, संगठन विकास, शून्य-आधारित बजट परिवर्तनों के प्रबंध, नेतृत्व विकास आदि विषयों के प्रशिक्षक भी हैं।
इन्होंने आर्थिक वैश्वीकरण, विश्व व्यापार संगठन, स्वदेशी, विनिवेश आदि विषयों पर 30 लघु पुस्तिकाएँ भी लिखी हैं। वर्तमान में प्रो. शर्मा स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सहसंयोजक हैं।
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