Adbhut Ganitajan Srinivas Ramanujan
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- ISBN13: 9789350483305
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Biography
अद्भुत गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के जीवन और कृतित्व दोनों से परिचय प्राप्त करना किसी को भी मानव प्रतिभा की संभावनाओं के संबंध में चमत्कृत करने के लिए पर्याप्त है। गणित के क्षेत्र में विश्व में कदाचित् ही कोई व्यक्ति रामानुजन के नाम से अपरिचित होगा।
रामानुजन का गणित का कार्य सरल नहीं माना जाता है। कुछ गणितज्ञ तो उनके सूत्रों को अत्यंत जटिल मानते हैं। वे हिंदी के माध्यम से उन सूत्रों को प्रस्तुत करके अपने आपको एक बड़ी चुनौती में खरा उतरने का दावा नहीं करते हैं।
विश्व की विभिन्न भाषाओं में उनके जीवन पर आधारित अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं, किंतु हिंदी-भाषी पाठकों के लिए रोचक शैली में लिखित यह जानकारीपरक पुस्तक रामानुजन के जीवन को तथा उनके विश्व-विख्यात कृतित्व को प्रस्तुत करने की एक कसौटी है।
पुस्तक में आरंभ के अध्यायों में रामानुजन के जीवन तथा परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है तथा भारतीय संस्कृति एवं परंपरा पर उनकी मान्यताओं को स्थान दिया गया है। प्रथम भाग में कहीं-कहीं गणित के कुछ उद्धरण आए हैं, जिनका उल्लेख करना आवश्यक था। बाद के अध्यायों में उनके द्वारा किए गए गणित के कार्य का संक्षिप्त, रोचक व ज्ञानप्रद प्रस्तुतीकरण है।
विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक पढ़कर पाठकगण श्रीनिवास रामानुजन के कृतित्व से न केवल परिचित होंगे, बल्कि प्रेरणा भी ग्रहण करेंगे।
रामानुजन का गणित का कार्य सरल नहीं माना जाता है। कुछ गणितज्ञ तो उनके सूत्रों को अत्यंत जटिल मानते हैं। वे हिंदी के माध्यम से उन सूत्रों को प्रस्तुत करके अपने आपको एक बड़ी चुनौती में खरा उतरने का दावा नहीं करते हैं।
विश्व की विभिन्न भाषाओं में उनके जीवन पर आधारित अनेक पुस्तकें प्रकाशित हैं, किंतु हिंदी-भाषी पाठकों के लिए रोचक शैली में लिखित यह जानकारीपरक पुस्तक रामानुजन के जीवन को तथा उनके विश्व-विख्यात कृतित्व को प्रस्तुत करने की एक कसौटी है।
पुस्तक में आरंभ के अध्यायों में रामानुजन के जीवन तथा परिस्थितियों पर प्रकाश डाला गया है तथा भारतीय संस्कृति एवं परंपरा पर उनकी मान्यताओं को स्थान दिया गया है। प्रथम भाग में कहीं-कहीं गणित के कुछ उद्धरण आए हैं, जिनका उल्लेख करना आवश्यक था। बाद के अध्यायों में उनके द्वारा किए गए गणित के कार्य का संक्षिप्त, रोचक व ज्ञानप्रद प्रस्तुतीकरण है।
विश्वास है, प्रस्तुत पुस्तक पढ़कर पाठकगण श्रीनिवास रामानुजन के कृतित्व से न केवल परिचित होंगे, बल्कि प्रेरणा भी ग्रहण करेंगे।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जनपद में जनमे डॉ. नरेन्द्र कुमार गोविल ने ‘अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय’ से गणित में एम.एस-सी. तथा कनाडा के ‘मॉण्ट्रियल विश्वविद्यालय’ से पी-एच.डी. की है।
उनके अनेक शोधपत्र प्रकाशित हैं। वह ‘जरनल ऑफ इनेक्यूलिटीज इन प्योर एंड एप्लाइड मैथेमेटिक्स’ तथा ‘ऑस्ट्रेलियन जरनल ऑफ मैथेमेटिकल एनालिसिस एंड एप्लिकेशंस’ के संपादक हैं एवं अन्य कई अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं के संपादकमंडल के सदस्य हैं। वह भारत की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के फैलो भी हैं।
संप्रति वह ‘ऑबर्न यूनिवर्सिटी, ऑबर्न, अलाबामा (अमेरिका)’ में गणित के
प्राध्यापक हैं।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में जनमे डॉ. भूदेव शर्मा ने दिल्ली विश्व-विद्यालय से पी-एच.डी. की तथा सन् 1979 में भारत छोड़ने से पूर्व वहाँ ही गणित विभाग में रीडर रहे।
वह हिंदू यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका, आरलैंडों के प्रथम कुलपति जेवियर यूनिवर्सिटी, न्यूआर्लिन्स में प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष तथा यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टइंडीज, ट्रिनिडाड में प्राध्यापक रहे। 100 से अधिक शोधपत्र तथा 23 पुस्तकें
प्रकाशित।
एक जरनल के प्रधान संपादक तथा कई अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं के संपादक मंडल के सदस्य हैं व कई संस्थाओं के अध्यक्ष रहे हैं। विदेशों में हिंदी पर कार्य एवं भारतीय अध्ययन पर उनके लेख तथा संपादित ग्रंथ हैं।
संप्रति एटलांटा विश्वविद्यालय में गणित के प्राध्यापक हैं।
उनके अनेक शोधपत्र प्रकाशित हैं। वह ‘जरनल ऑफ इनेक्यूलिटीज इन प्योर एंड एप्लाइड मैथेमेटिक्स’ तथा ‘ऑस्ट्रेलियन जरनल ऑफ मैथेमेटिकल एनालिसिस एंड एप्लिकेशंस’ के संपादक हैं एवं अन्य कई अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं के संपादकमंडल के सदस्य हैं। वह भारत की नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज के फैलो भी हैं।
संप्रति वह ‘ऑबर्न यूनिवर्सिटी, ऑबर्न, अलाबामा (अमेरिका)’ में गणित के
प्राध्यापक हैं।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद में जनमे डॉ. भूदेव शर्मा ने दिल्ली विश्व-विद्यालय से पी-एच.डी. की तथा सन् 1979 में भारत छोड़ने से पूर्व वहाँ ही गणित विभाग में रीडर रहे।
वह हिंदू यूनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका, आरलैंडों के प्रथम कुलपति जेवियर यूनिवर्सिटी, न्यूआर्लिन्स में प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष तथा यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टइंडीज, ट्रिनिडाड में प्राध्यापक रहे। 100 से अधिक शोधपत्र तथा 23 पुस्तकें
प्रकाशित।
एक जरनल के प्रधान संपादक तथा कई अंतरराष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं के संपादक मंडल के सदस्य हैं व कई संस्थाओं के अध्यक्ष रहे हैं। विदेशों में हिंदी पर कार्य एवं भारतीय अध्ययन पर उनके लेख तथा संपादित ग्रंथ हैं।
संप्रति एटलांटा विश्वविद्यालय में गणित के प्राध्यापक हैं।