Aakranta, Kroorta Aur Shadyantra | Untold History Of India Book in Hindi
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- ISBN13: 9789355625830
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): History
भारत, जो कभी सांस्कृतिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त था, लगातार आक्रमणकारियों का लक्ष्य बना। आक्रांताओं ने इस समृद्ध सभ्यता को नष्ट करने के प्रयास निरंतर किए। मुस्लिम आक्रांताओं के आगमन ने अत्याचारों से भरे एक अशांत युग की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य हिंदू समाज के मूल ढाँचे को कमजोर करना था।
गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों को दीवार में चिनवाने से लेकर मंदिरों और शैक्षणिक संस्थानों के विध्वंस तक-इन आक्रमणों के घाव बहुत गहरे हैं।
जैसे-जैसे सदियाँ बीतती गईं, हिंसा का यह चक्र बढ़ता गया। सनातन धर्म को मिटाने के लिए षड्यंत्र रचे गए, लाखों हिंदुओं को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे किसी और ईश्वर को मानने वाले थे, या बहुईश्वरवादी थे। गजवा-ए-हिंद की विचारधारा प्रबल हुई, जिहाद इस्लामी प्रभुत्व चाहने वालों के लिए एक हथियार बन गया।
दुर्भुष संघर्ष, चुनौतियों और कष्टों के बावजूद, हिंदू समुदाय सदियों के उत्पीड़न के बाद भी अपने अस्तित्व को बचाकर रख पाया। यह पुस्तक इन आक्रमणों के ऐतिहासिक संदर्भ और सनातनियों की भावना पर प्रकाश डालती है। यह बताती है कि कैसे दृढ़ इच्छाशक्ति और पूर्वजों के पौरुष ने न केवल उनकी पहचान की रक्षा की, बल्कि इस देश की सांस्कृतिक विरासत को भी जीवित रखा।
पुस्तक पूर्व में हिंदू समाज के खिलाफ हुए षड्यंत्रों और उनके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई भयावह परिस्थितियों पर तो प्रकाश डालती ही है, साथ-ही-साथ वर्तमान में हिंदू समाज के खिलाफ चल रहे आंतरिक षड्यंत्रों एवं चुनौतियों से भी समाज को सचेत करती है।
गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों को दीवार में चिनवाने से लेकर मंदिरों और शैक्षणिक संस्थानों के विध्वंस तक-इन आक्रमणों के घाव बहुत गहरे हैं।
जैसे-जैसे सदियाँ बीतती गईं, हिंसा का यह चक्र बढ़ता गया। सनातन धर्म को मिटाने के लिए षड्यंत्र रचे गए, लाखों हिंदुओं को सिर्फ इसलिए मार दिया गया क्योंकि वे किसी और ईश्वर को मानने वाले थे, या बहुईश्वरवादी थे। गजवा-ए-हिंद की विचारधारा प्रबल हुई, जिहाद इस्लामी प्रभुत्व चाहने वालों के लिए एक हथियार बन गया।
दुर्भुष संघर्ष, चुनौतियों और कष्टों के बावजूद, हिंदू समुदाय सदियों के उत्पीड़न के बाद भी अपने अस्तित्व को बचाकर रख पाया। यह पुस्तक इन आक्रमणों के ऐतिहासिक संदर्भ और सनातनियों की भावना पर प्रकाश डालती है। यह बताती है कि कैसे दृढ़ इच्छाशक्ति और पूर्वजों के पौरुष ने न केवल उनकी पहचान की रक्षा की, बल्कि इस देश की सांस्कृतिक विरासत को भी जीवित रखा।
पुस्तक पूर्व में हिंदू समाज के खिलाफ हुए षड्यंत्रों और उनके परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई भयावह परिस्थितियों पर तो प्रकाश डालती ही है, साथ-ही-साथ वर्तमान में हिंदू समाज के खिलाफ चल रहे आंतरिक षड्यंत्रों एवं चुनौतियों से भी समाज को सचेत करती है।
रघु हरि डालमिया
डालमिया परिवार में जनमे देश के प्रमुख व्यवसायी। रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान (आर.जे.डी.एस.एस.) के तत्त्वावधान में वर्ष 2004 से कई विकासात्मक गतिविधियों का नेतृत्व कर रहे हैं, जैसे-एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन दृष्टिकोण को अपनाकर पेयजल की सुरक्षित और टिकाऊ आपूर्ति प्रदान करना; जल संरक्षण और स्वच्छता प्रबंधन को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण, महिला सशक्तीकरण, ग्रामीण आय संवर्धन, जल संरक्षण और आय में वृद्धि के लिए समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत उन्नत कृषि पद्धतियाँ विकसित करना। अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से सक्रिय संबद्धता। राष्ट्रीय स्तर के विविध प्रतिष्ठित सम्मानों से अलकृत।
'मेरा देश मेरी जिम्मेदारी' अभियान के अंतर्गत 'न्याय और स्वधर्म से राष्ट्र निर्माण' विषय पर देशभर के विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में संगोष्ठियों का आयोजन, जिसमें देश के प्रतिष्ठित संस्थान, जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, एमिटी स्कूल, आई.आई.टी. दिल्ली, आई.आई.टी. एम, ग्वालियर प्रमुख हैं।
'भारत का अनकहा इतिहास' श्रृंखला में दो पुस्तकों का लेखन/संपादन 'मेवाड़ एवं मराठाओं की सहस्र वर्षों की शौर्यगाथा' एवं 'राजनीति की खुलती परतें'।
डालमिया परिवार में जनमे देश के प्रमुख व्यवसायी। रामकृष्ण जयदयाल डालमिया सेवा संस्थान (आर.जे.डी.एस.एस.) के तत्त्वावधान में वर्ष 2004 से कई विकासात्मक गतिविधियों का नेतृत्व कर रहे हैं, जैसे-एकीकृत जल संसाधन प्रबंधन दृष्टिकोण को अपनाकर पेयजल की सुरक्षित और टिकाऊ आपूर्ति प्रदान करना; जल संरक्षण और स्वच्छता प्रबंधन को बढ़ावा देना, वृक्षारोपण, महिला सशक्तीकरण, ग्रामीण आय संवर्धन, जल संरक्षण और आय में वृद्धि के लिए समन्वित कृषि प्रणाली के अंतर्गत उन्नत कृषि पद्धतियाँ विकसित करना। अनेक सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं से सक्रिय संबद्धता। राष्ट्रीय स्तर के विविध प्रतिष्ठित सम्मानों से अलकृत।
'मेरा देश मेरी जिम्मेदारी' अभियान के अंतर्गत 'न्याय और स्वधर्म से राष्ट्र निर्माण' विषय पर देशभर के विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में संगोष्ठियों का आयोजन, जिसमें देश के प्रतिष्ठित संस्थान, जैसे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, एमिटी स्कूल, आई.आई.टी. दिल्ली, आई.आई.टी. एम, ग्वालियर प्रमुख हैं।
'भारत का अनकहा इतिहास' श्रृंखला में दो पुस्तकों का लेखन/संपादन 'मेवाड़ एवं मराठाओं की सहस्र वर्षों की शौर्यगाथा' एवं 'राजनीति की खुलती परतें'।