31 Years UPSC Prelims Civil Services Exam 2026 | IAS Prelims Topic-wise Solved Papers 1 & 2 (1995-2025) | General Studies & Aptitude (CSAT) 5000+ MCQ | PYQs Previous Year Questions Bank Guide Book in Hindi
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- ISBN13: 9789348203540
- Binding: Paperback
- Publisher: Prabhat Prakashan
- Publisher Imprint: NA
- Pages: NA
- Language: Hindi
- Edition: NA
- Item Weight: 500
- BISAC Subject(s): Competitive Books
भारत की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा की तैयारी अब आसान है! यह पुस्तक 1995 से 2025 तक के IAS प्रीलिम्स के दोनों पेपरों (GS + CSAT) के विषय-वार हल प्रश्नपत्रों को कवर करती है। यह IAS, IPS, IFS जैसे पदों के लिए तैयारी कर रहे उम्मीदवारों के लिए एक संपूर्ण मार्गदर्शिका है।
मुख्य विशेषताएँ:
विषय-वार सॉल्व्ड पेपर्स – पेपर 1 (सामान्य अध्ययन) और पेपर 2 (सीसैट) को विषय और उप-विषय के अनुसार व्यवस्थित किया गया है।
5000+ वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs) – प्रत्येक प्रश्न के साथ विस्तृत व्याख्या एवं उत्तर।
1995 से 2025 तक का कवरेज – पुराने और नए प्रश्न-पत्रों के ट्रेंड को समझने का सबसे अच्छा माध्यम।
2025 का हालिया पेपर सम्मिलित – नवीनतम परीक्षा की तैयारी हेतु संपूर्ण समाधान।
स्व-अध्ययन के लिए आदर्श पुस्तक – आत्ममूल्यांकन, रिवीजन और अभ्यास के लिए बेहद उपयोगी।
UPSC के नवीनतम पाठ्यक्रम और पैटर्न पर आधारित – जिससे आपकी तैयारी सटीक और लक्ष्य केंद्रित हो।
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1995 से 2025 तक का कवरेज – पुराने और नए प्रश्न-पत्रों के ट्रेंड को समझने का सबसे अच्छा माध्यम।
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डॉ. मनीष रंजन, 2002 वर्ष के आई.ए.एस. ऑफिसर हैं। वे वर्तमान में झारखंड सरकार में कार्यरत हैं। इन्होंने झारखंड के विभिन्न जिलों में उपायुक्त-सह-जिला अधिकारी के रूप में सफलतापूर्वक काम किया है। इन्होंने नेतरहाट विद्यालय, नेतरहाट एवं पटना कॉलेज, पटना से शिक्षा अर्जित करने के पश्चात् हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त की। IRMA गुजरात से एम.बी.ए. डिग्री प्राप्त करने के पश्चात् इन्होंने मैनेजमेंट स्टडीज में पी-एच.डी. की उपाधि हासिल की। डॉ. रंजन ने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, बर्कले, अमेरिका से पब्लिक अफेयर में मास्टर डिग्री अर्जित की है।
ब्रिटिश सरकार की लब्धप्रतिष्ठित Chevening fellowship अर्जित कर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया। इसके अतिरिक्त डॉ. रंजन ने जॉन्स हापकिंस यूनिवर्सिटी, अमेरिका, फ्रैंकफर्ट स्कूल ऑफ फाइनेंस एंड मैनेजमेंट, जर्मनी, इंटरनेशनल ट्रेनिंग सेंटर, तुरीन, इटली एवं कोरिया डेवलपमेंट इन्स्टीट्यूट, सियोल, दक्षिण कोरिया में प्रशिक्षण हासिल किया है। विश्व बैंक, वॉशिंगटन डी.सी. के द्वारा कृषि के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग की संभावना पर इनकी परियोजना को व्यापक रूप से सराहा गया है।
प्रोफेशनल कॅरियर में इन्हें आई.ए.एस. की मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए 'डायरेक्टर्स गोल्ड मेडल' से नवाजा गया है। इन्हें लगातार दो वर्ष प्रधानमंत्री 'मनरेगा उत्कृष्टता पुरस्कार', भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा 'निर्मल ग्राम पुरस्कार', एशियन फेडरेशन ऑफ इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटीज, जापान द्वारा 'स्टार राफ्ट पुरस्कार' और शारीरिक एवं मानसिक दिव्यांगों के लिए अनुकरणीय कार्य करने के लिए भारत सरकार द्वारा 'स्पंदन पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जा चुका है। झारखंड इनकी कर्मस्थली है, अतः इस राज्य से इनका विशेष लगाव होना सहज है। अध्ययन, अन्वेषण, और चिंतन में रुचि तथा अध्यवसाय की प्रवृत्ति ने इनके लेखकीय व्यक्तित्व को विषय बोध और संप्रेषण क्षमता, दोनों ही दृष्टियों से समृद्ध बनाया है।
ब्रिटिश सरकार की लब्धप्रतिष्ठित Chevening fellowship अर्जित कर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में अध्ययन किया। इसके अतिरिक्त डॉ. रंजन ने जॉन्स हापकिंस यूनिवर्सिटी, अमेरिका, फ्रैंकफर्ट स्कूल ऑफ फाइनेंस एंड मैनेजमेंट, जर्मनी, इंटरनेशनल ट्रेनिंग सेंटर, तुरीन, इटली एवं कोरिया डेवलपमेंट इन्स्टीट्यूट, सियोल, दक्षिण कोरिया में प्रशिक्षण हासिल किया है। विश्व बैंक, वॉशिंगटन डी.सी. के द्वारा कृषि के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के व्यापक उपयोग की संभावना पर इनकी परियोजना को व्यापक रूप से सराहा गया है।
प्रोफेशनल कॅरियर में इन्हें आई.ए.एस. की मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए 'डायरेक्टर्स गोल्ड मेडल' से नवाजा गया है। इन्हें लगातार दो वर्ष प्रधानमंत्री 'मनरेगा उत्कृष्टता पुरस्कार', भारत के महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा 'निर्मल ग्राम पुरस्कार', एशियन फेडरेशन ऑफ इंटेलेक्चुअल डिसेबिलिटीज, जापान द्वारा 'स्टार राफ्ट पुरस्कार' और शारीरिक एवं मानसिक दिव्यांगों के लिए अनुकरणीय कार्य करने के लिए भारत सरकार द्वारा 'स्पंदन पुरस्कार' से भी सम्मानित किया जा चुका है। झारखंड इनकी कर्मस्थली है, अतः इस राज्य से इनका विशेष लगाव होना सहज है। अध्ययन, अन्वेषण, और चिंतन में रुचि तथा अध्यवसाय की प्रवृत्ति ने इनके लेखकीय व्यक्तित्व को विषय बोध और संप्रेषण क्षमता, दोनों ही दृष्टियों से समृद्ध बनाया है।