1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Anakahi Kahani

1965 Bharat-Pak Yuddha Ki Anakahi Kahani

by R.D. Pradhan

₹500.00 ₹425.00 15% OFF

Ships in 1 - 2 Days

Secure Payment Methods at Checkout

  • ISBN13: 9789390366996
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Prabhat Prakashan
  • Publisher Imprint: NA
  • Pages: NA
  • Language: Hindi
  • Edition: NA
  • Item Weight: 500
  • BISAC Subject(s): Sociology
1965 भारत-पाक युद्ध की अनकही कहानी
1965 का युद्ध वर्ष 1947 में हुए विभाजन के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच पहला पूर्ण युद्ध था।
भारत के तत्कालीन रक्षा मंत्री वाई.बी. चह्वाण ने 22 दिन तक चले इस युद्ध का विवरण स्वयं अपनी डायरी में दर्ज किया था। इस पुस्तक में बताई गई अंदरूनी बातों से पता चलता है—
• पाकिस्तानी हमले के समय का पता करने में भारत का खुफिया विभाग बिलकुल विफल रहा।
• कैसे और क्यों चह्वाण ने प्रधानमंत्री को सूचित किए बिना ही वायुसेना को हमला करने का आदेश दे दिया।
• कैसे एक डिवीजन कमांडर को अभियान से अलग कर दिया गया।
• कैसे एक सेना कमांडर ने अपनी ‘रेजीमेंट के महान् गौरव’ के लिए 300 से अधिक लोगों को कुरबान कर दिया।
• भारतीय सेना ने लाहौर के अंदर कूच क्यों नहीं किया?
• कैसे प्रधानमंत्री ने अपना धैर्य बनाए रखा और युद्ध के समय एक महान् नेता बनकर उभरे।
• क्या यह युद्ध निरर्थक था, भारत ने युद्ध के मोर्चे पर जो कुछ जीता था, क्या वह सब ताशकंद में गँवा दिया था?
और अंत में, राजनीतिक नेतृत्व ने कैसे रक्षा बलों के नेतृत्व के साथ फिर से अपने समुचित संबंध बहाल कर लिये और 1962 के भारत-चीन युद्ध के समय पैदा हुई कड़वाहट को मिटा दिया।
यह पुस्तक वायुसेना के सम्मान में लिखी गई है, जिसे स्वतंत्रता के बाद पहली बार युद्ध में लगाया गया था। यह उन बख्तरबंद रेजीमेंटों को भी श्रद्धांजलि है, जो इस युद्ध में बड़ी वीरता से लड़ीं और पैटन टैंकों के सर्वश्रेष्ठ होने के मिथक को तोड़ दिया।
आर.डी. प्रधान 1952 में पूर्व के बंबई राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.) में शामिल हुए थे। 1960 में वे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे वाई.बी. चह्वाण के निजी सचिव बने। 1965 में वे वाणिज्य मंत्रालय में आए और कई प्रमुख समझौतों को संपन्न कराने में अहम भूमिका निभाई। 1967 में वे जिनेवा में अंकटाड में और गैट में भारत के प्रतिनिधि नियुक्त किए गए और बाद में संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रतिनिधि बने।
1982 में वे महाराष्ट्र के मुख्य सचिव नियुक्त किए गए और 1985 में केंद्रीय गृह सचिव बने। 1987 में वे अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल बने और बिहार के राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया। पंजाब, असम और मिजोरम में शांति समझौते कराने में अहम भूमिका निभाकर उल्लेखनीय लोकसेवा के लिए उन्हें पद्मभूषण पुरस्कार से अलंकृत किया गया।
उन्होंने ‘वर्किंग विद राजीव गांधी’, ‘डिबैकल टू रिवाइवल ऑन वाई.बी. चह्वाणस टेन्योर एज द डिफेंस मिनिस्टर’ जैसी पुस्तकें लिखीं। इसके अलावा, उन्होंने मराठी में भी कई पुस्तकें लिखीं हैं।
फिलहाल वे मुंबई में रहते हैं। वे नेहरू सेंटर के उपाध्यक्ष और वाई.बी. चह्वाण फाउंडेशन के न्यासी हैं।

Trusted for over 24 years

Family Owned Company

Secure Payment

All Major Credit Cards/Debit Cards/UPI & More Accepted

New & Authentic Products

India's Largest Distributor

Need Support?

Whatsapp Us

You May Also Like

Recently Viewed